लेह के एयरबेस पर खड़े हुए C-17 ग्लोबमास्टर है जो भारतीय वायु सेना का सबसे बड़ा और भीमकाय स्ट्रेटजिक ट्रांसपोर्ट व् मालवाहक विमान है।
जरा ध्यान से इनकी संख्या गिनिए और अनुमान लगाने का प्रयत्न कीजिए कि किस संख्या और मात्रा में भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने चीन को काउंटर करने के लिए आर्म्स मिलिट्री इक्विपमेंट्स एम्युनिशन सोल्जर्स और राशन व् रसद एकत्र कर ली है।
वैसे फिलहाल इंडियन आर्मी की दो ब्रिगेड वेल आर्म्ड व् इक्विपड होकर गलवान नदी के उस पार कैंप डाले चीनी सैनिकों के ठीक सामने खड़ी हुई हैं।
पूरी तरह से तैयार खड़ी बैटल हार्डण्ड इंडियन आर्म्ड फोर्सेस आज पैंगोंग में किसी भी चीनी मिसएडवेंचर को हैंडल करने में सक्षम है, और यदि चीनी पीएलए आर्मी द्वारा कुछ भी फैंसी ट्राई किया भी जाता है तो इंडियन आर्मी 1967 के नाथू ला और चो ला से भी कहीं अधिक तीक्ष्ण रिस्पॉन्स देगी।
आशा है कि चीनी PLA आर्मी को यह भली प्रकार स्मृत होगा की नाथु ला और चो ला में इंडियन आर्म्ड फोर्स को प्रोवोक करने और उनपर फायरिंग करने का परीणाम चीनी को अपने 500 से अधिक सैनिकों को गंवा कर भुगतना पड़ा था।
1967 में इंडियन आर्मी का रिस्पोंस कितना तीखा था कि चीनी सेना इंडियन फायरिंग और शेललिंग देख इतनी डर गयी थी की अपने घायलों व् अपने मृत साथियों के शवों के साथ अपना राशन अपने हथियार व् ईक्विपममेंट्स वहीं छोड़कर उल्टे पांव 3 किलोमीटर तक पीछे भाग खड़ी हुई थी।
इंडियन आर्मी 3 दिनों तक चीनी पोजीशन पर शेलिंग करती रही थी जिसमें कई चीनी पोस्ट ,चीनी पोजीशन, और चीनी बंकर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे, बाद में चीन को तीन दिनों के बाद सरेंडर का सफेद झंडा फहराना पड़ा था, जिसके बाद भारतीय आर्मी से परमिशन लेकर हाथ में सफेद झंडा पकड़कर सर झुकाए चीनी सैनिक अपने घायल और मृत सैनिकों के शव उठाकर ले गए थे।
और आज भी यदि चीनी सेना द्वारा नाथुला और चोला जैसी हिमाकत की गई तो इंडियन आर्मी का रिस्पांस 1967 से कम आक्रामक नहीं होगा।