बस इसीलिए तो कहता हूँ ।
आज़ादी अभीअधूरी है।।
कैसे उल्लास मनाऊँ मै।
थोड़े दिन की मजबूरी है।।
दिन दूर नही खण्डित भारत को।
पुनः अखण्ड बनाएंगे।।
गिलगित से गारो पर्वत तक।
आज़ादी पर्व मनायेंगे।।
बस इसीलिए तो कहता हूँ ।
आज़ादी अभीअधूरी है।।
कैसे उल्लास मनाऊँ मै।
थोड़े दिन की मजबूरी है।।
दिन दूर नही खण्डित भारत को।
पुनः अखण्ड बनाएंगे।।
गिलगित से गारो पर्वत तक।
आज़ादी पर्व मनायेंगे।।...
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