वहाँ
अचानक शिखर पर
खरखराने लगती हैं पत्तियाँ,
जैसे काँप रही हों हवा में !
:
या हो सकता है
आ बैठा हो कोई पक्षी
उनकी छाया में, और
कोमल डाली लहलहाने लगी हों !!
:
टहनियों की यह
अनायास धुकधुकी,
आतँक और आवेश से
सिहरा देता है मेरा मन !!!!
वहाँ
अचानक शिखर पर
खरखराने लगती हैं पत्तियाँ,
जैसे काँप रही हों हवा में !
:
या हो सकता है
आ बैठा हो कोई पक्षी
उनकी छाया में, और
कोमल डाली लहलहाने लगी हों !!
:
टहनियों की यह
अनायास धुकधुकी,
आतँक और आ...
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