Waheguru | The Truth Behind the 'Waheguru' Speaking | SATLOK ASHRAM
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Waheguru | The Truth Behind the 'Waheguru' Speaking | SATLOK ASHRAM
आदरणीय गरीबदास जी महाराज {गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर(हरियाणा)} को भी परमेश्वर कबीर जिन्दा महात्मा के रूप में जंगल में मिले थे। इसी प्रकार सतलोक दिखा कर वापिस छोड़ा था। परमेश्वर ने बताया कि मैंने ही श्री नानक जी तथा श्री दादू जी को पार किया था। जब श्री नानक जी ने पूर्ण परमात्मा को सतलोक में भी देखा तथा फिर बनारस (काशी) में जुलाहे का कार्य करते देखा तब उमंग में भरकर कहा था ‘‘वाहेगुरु सत्यनाम‘‘ वाहेगुरु-वाहेगुरु तथा इसी उपरोक्त वाक्य का उच्चारण करते हुए काशी से वापिस आए। जिसको श्री नानक जी के अनुयाईयों ने जाप मंत्र रूप में जाप करना शुरु कर दिया कि यह पवित्र मंत्र श्री नानक जी के मुख कमल से निकला था, परन्तु वास्तविकता को न समझ सके। अब उन से कौन छुटाए, इस नाम के जाप को जो सही नहीं है। क्योंकि वास्तविक मंत्र को बोलकर नहीं सुनाया जाता। उसका सांकेतिक मंत्र ‘सत्यनाम‘ है तथा वाहे गुरु कबीर परमेश्वर को कहा है। इसी का प्रमाण संत गरीबदास साहेब ने अपने सतग्रन्थ साहेब में फुटकर साखी का अंग पृष्ठ न. 386 पर दिया है।
गरीब - झांखी देख कबीर की, नानक कीती वाह।
वाह सिक्खों के गल पड़ी, कौन छुटावै ताह।।
READ FULL ARTICLE HERE : https://www.jagatgururampalji.org/hshrigurugranthsahib.php
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