हमेशा शांति के कबूतर उड़ाने वाले वामपंथी आज एकाएक लड़ाई की ललकार क्यों दे रहे हैं?
क्योंकि उन्हें भी पता है कि लड़ाई बॉर्डर पर है ही नहीं. लड़ाई घर के अंदर है. बॉर्डर पर जो है वह एक डिस्ट्रैक्शन मात्र है.
अगर बॉर्डर पर एक सीरियस युद्ध होता तो यह हमला आर्टिलरी, टैंक्स, मशीनगन से नहीं होकर यूँ लाठी बल्लम कील कांटी से होता?
इस झड़प का उद्देश्य हमला करके जमीन जीतना है ही नहीं. इसका उद्देश्य एक बवाल खड़ा करके देश के मोराल को तोड़ना है. असली हमला देश की सीमाओं पर नहीं, देश के मनोबल पर है. असली आक्रांता चीन नहीं, कांग्रेसी और वामपंथी हैं. चीन तो सिर्फ उन्हें उस आक्रमण के लिए ग्राउंड दे रहा है.
चीनियों ने पंगा लिया है, उसका जवाब फौज दे रही है. पर आप असली लड़ाई से नज़र मत हटाइये. दुश्मन को पता है कि हम भावनाओं में बह कर कैसे रियेक्ट करते हैं, और वह उसे ही टारगेट कर रही है. आपको शायद पता भी नहीं हो, पर अगर सोशल मीडिया पर आपकी प्रतिक्रिया वही है जो शत्रु चाहता है, आप वही दुहरा रहे हैं जो पप्पू पगलेट बोल रहा है तो आप अनजाने में दुश्मन की ओर से गोलीबारी कर रहे हैं.
मेरा एक लाइन का स्टैंड है...हमारा प्रधानमंत्री दृढ़ निश्चयी और दूरदर्शी है, हमारी सेनाएँ सबल हैं. जो भी उचित होगा, वे करेंगे...मैं बस उनके साथ हूँ. यह करो और वह क्यों नहीं किया... यह बोलना मेरा काम नहीं है.