संजयराज राजपुरोहित 's Album: Wall Photos

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मित्रों (MITRON) "एप्प" का पाकिस्तान से संबंध :-

- बढ़ते इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ साथ हम साइबर सिक्योरिटी से जुड़े अपराधों को बढ़ता हुए देख रहे है , हालही में भारत मे टिक-टोक नामक "एप्प" के बारे में हमने काफी विवाद देखे है ।

- इस चीनी टिक टोक को हटाने के लिए भारत ने "मित्रों एप्प" की शुरुआत की ,जो इसी के जैसा एप्प है , और इसे "Make in india" एप्प कहा जा रहा है

- लेकिन क्या "मित्रों एप्प" सुरक्षित है ? , क्या सही में यह एप्प "Make in india" का हिस्सा है ? , विस्तार से जानते है पूरा मामला :-

1. क्या है 'टिक-टॉक'?

- 'टिक-टॉक' एक सोशल मीडिया ऐप्लिकेशन है जिसके जरिए स्मार्टफ़ोन यूज़र छोटे-छोटे वीडियो (15 सेकेंड तक के) बना और शेयर कर सकते हैं.

- 'बाइट डान्स' इसके स्वामित्व वाली कंपनी है जिसने चीन में सितंबर, 2016 में 'टिक-टॉक' लॉन्च किया था. साल 2018 में 'टिक-टॉक' की लोकप्रियता बहुत तेज़ी से बढ़ी और अक्टूबर 2018 में ये अमरीका में सबसे ज़्यादा डाउनलोड किया जाने वाला ऐप बन गया.

- गूगल प्ले स्टोर पर टिक-टॉक का परिचय 'Short videos for you' (आपके लिए छोटे वीडियो) कहकर दिया गया है.

- भारत मे इस एप्प को 100 मिलियन लोगो ने डाउनलोड कर रखा है , जिसमे से 20 मिलियन इसके एक्टिव यूजर है ।

2 . नकारात्मक बाते टिक-टोक की :-

- गूगल प्ले स्टोर पर कहा गया है कि इसे 13 साल से ज़्यादा उम्र के लोग ही इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि इसका पालन होता नहीं दिखता. भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में टिक-टॉक के जरिए जो वीडियो बनाए जाते हैं उसमें एक बड़ी संख्या 13 साल से कम उम्र के लोगों की है.

- प्राइवेसी के लिहाज़ से टिक-टॉक ख़तरों से खाली नहीं है. क्योंकि इसमें सिर्फ़ दो प्राइवेसी सेटिंग की जा सकती है- 'पब्लिक' और 'ओनली'. यानी आप वीडियो देखने वालों में कोई फ़िल्टर नहीं लगा सकते. या तो आपके वीडियो सिर्फ़ आप देख सकेंगे या फिर हर वो शख़्स जिसके पास इंटरनेट है

- कई टिक-टॉक अकाउंट अडल्ट कॉन्टेंट से भरे पड़े हैं और चूंकि इनमें कोई फ़िल्टर नहीं है, हर टिक-टॉक यूज़र इन्हें देख सकता है, यहां तक कि बच्चे भी.

- टिक-टॉक जैसे चीनी ऐप्स के साथ सबसे बड़ी दिक़्कत ये है कि इसमें किसी कॉन्टेन्ट को 'रिपोर्ट' या 'फ़्लैग' का कोई विकल्प नहीं है. ये सुरक्षा और निजता के लिहाज़ से ख़तरनाक तो हो सकता है.

3. मित्रों एप्प (MITRON APP) :-

- यह भी टिक-टोक जैसी ही एक एप्पलीकेशन या एप्प है , जबसे टिक-टोक का विवाद भारत में शुरू हुआ तब सब लोग टिक-टोक को अपने फोन से हटाने लगे तब फिर "मित्रों एप्प" को बनाया गया ताकि यह टिक-टोक की जगह ले ।

- ऐसा माना जा रहा है (पूरी छानबीन चल रही है) के मित्रों एप्प को IIT- रुड़की के एक छात्र "शिवांक अग्रवाल" ने बनाया है , और इस एप्प का प्रोमोशन एक "शोपकिलर्स" नामक कम्पनी कर रही है , और इसे "मेक इन इन्डिया" बताया जा रहा है ।

- और इस एप्प में वह सभी चीजें है जो टिक-टोक में है । और मित्रों एप्प को भारत मे 50 लाख लोगों ने डाऊनलोड भी कर लिया है अपने फोन में ।

4. अब विवाद कहा से शुरू हुआ मित्रों एप्प का :-

- 'मित्रों एप्प" का जब कुछ ही दिनों में लाखों लोगों ने डाउनलोड किया तो इसकी लोकप्रियता बढ़ गयी , और प्रमोटर कम्पनी "शोपकिलर्स" यह कहने लगी के यह "मेक इन इंडिया" यानी भारत मे बनाया गया एप्प है ।
- लेकिन इस मेक इन इंडिया के बारे में जब न्यूज़ में चला तो पाकिस्तान की एक कम्पनी जिसका नाम है "Qboxus" के मालिक ने कहा कि यह झूठ है कि यह एप्प भारत मे बनी है , बल्कि यह एप्प हमारी कम्पनी ने बनाई है ।
- Qboxus पाकिस्तान की एक सॉफ्टवेयर इत्यादि बनाने वाली एक कंपनी है , इस कम्पनी के मालिक "इरफान शेख" का कहना है के हमारी कम्पनी ने "source code" बनाती है और उसे बेचती है , सोर्स कोड का सरल भाषा मे मतलब है किसी भी एप्पलीकेशन को चलाने का दिमाग ।
-पाकिस्तान की इस कंपनी ने एक ऐसा ही "सोर्स कोड" बनाया और उस सोर्स कोड पे पाकिस्तान में इन्होंने एक एप्प बनाया जिसका नाम "Tic-tic" दिया इहोने ।
- इरफान शेख़ ने बादमे कहा के इसी "tic-tic" का सोर्स कोड हमने 2500 रुपये में भारत मे बेचा था ,और इसमे किसी तरह का कोई बदलाव नही किया गया भारत मे और सिर्फ नाम बदलकर 'मित्रों एप्प" रख दिया ।

- दूसरी दिक्कत :- इस एप्प को डाऊनलोड करने वालो ने बताया के यह एप्प सामान्य एप्प से ज्यादा चीजो की परमिशन मांग रहा है , और गूगल प्लेस्टोर पे इसको कोई प्राइवेसी पॉलिसी भी नही है , इसका यह मतलब हुआ के अगर हम सब परमिशन दे देते है तो हमारे फोन का पूरा डेटा पाकिस्तान की इस कम्पनी को चला जायेगा ।

- तीसरी दिक्कत :- गूगल ने भी इसको प्राइवेसी पॉलिसी पे ध्यान नही दिया है ,बिना किसी सुरक्षात्मक नीति के इस एप्प को प्लेस्टोर में रख दिया है ।

- चौथी दिक्कत :-शिवांक अग्रवाल नामक व्यक्ति से कोई सम्पर्क नही हो पा रहा है ,इसके अलावा इस एप्प को प्रमोट करने वाली कम्पनी "शोपकिलर्स" भी
"dark web" कम्पनी है जिसका पता नही चल पा रहा है ।
NOTE :- जिस इंटरनेट को हम जानते हैं या इस्तेमाल करते हैं, वह सम्पूर्ण वेब का सिर्फ 4% हिस्सा है। बाकी का 96% हिस्सा पूरी तरह छुपा हुआ है, जिसे हम Dark Web या Dark Net के नाम से जानते हैंं। डार्क वेब इंटरनेट की वह काली दुनिया है, जहाँ दुनियाभर के गैरकानूनी काम होते हैंं।

- अभी के लिए यही सब पता चल पाया है , इसलिए अगर आप इस्तेमाल भी करते है इस एप्प का तब ज्यादा परमिशन को "yes" न करे ।

stayhome#like#share#current affairs by ajit singh