ग्वालियर । दीपावली के त्योहार को लेकर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक में एक अलग ही उत्साह है। शहर में लोगों ने अपने-अपने घरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया है। बाजारों में तो सजावट को लेकर प्रतिपस्पर्धा चल रही है। दीपावली पर लाखों रुपये की बिजली सजावट में खर्च हो रही है। वहीं मुख्यालय से मात्र 72 किलोमीटर की दूरी पर ही 7 गांव के 10 हजार लोग 20 साल से अंधेरे में हैं। ये लोग दीपावली तो मनाते हैं लेकिन सिर्फ दीपक को रोशनी में। यह तो इन्हें पता ही नहीं है।
नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत सहित जिले के 552 गांवों में आज बिजली की चमक के साथ दीयों की टिमटिमाती रोशनी दिखेगी, जबकि मुख्यालय से लगभग 72 किलोमीटर दूर सात गांव ऐसे भी हैं जहां 20 साल से लोगों की दिवाली दीयों और मोमबत्ती के उजाले में ही रोशन होती है। 300से 1000 लोगों की जनसंख्या वाली इन बस्तियों में आज भी अंधेरा कायम है। यहां के लोगों ने भी शिकायत करने के बजाये परिस्थितियों से समझौता कर लिया है ।
यहां आज भी
नहीं बिजली भितरवार क्षेत्र के शिवपुरी जिले की सीमा से सटे गांवों में बिजली कंपनी ने काम नहीं किया है। इन गांवों में बिजली आती ही नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि हाल ही में यहां ग्रामीण विद्युतीकरण के माध्यम से काम कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक यहां बिजली नहीं आई है। बिजली विहीन गांवों में बामरोल, कुड़पार, जनकपुर, खड़ौआ, रमजीपुर, चरौली एवं इमिलिया सहित लगभग 27 गांव शामिल हैं।
शराब मुक्त कुछ गांव
बामरोल सहित गुर्जर बाहुल्य लगभग आधा दर्जन गांवों में शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है। गांवों में किसी घर का कोई भी सदस्य अर्थ दंड के भय से शराब पीकर गांव में नहीं आता। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ एेसे लोग हैं, जिनके बारे में पता लगा है कि वे दूसरी जगहों पर जाकर शराब पीते हैं, अब उसका सबूत ढूंढकर समाज की पंचायत के सामने रखा जाएगा, ताकि उनको सबक मिल सके।
पत्रिका ने जानी हकीकत
सरकार की घोषणाओं के बाद पत्रिका ने बुधवार को जिला मुख्यालय से कुछ दूर गांवों में जाकर वास्तिविकता को परखा।
इस दौरान ग्रामीण विकास विभाग की सुविधाएं सिर्फ कागजों में ही सीमित दिखीं।
शिक्षा, स्वास्थ्य और रहन-सहन के मामले में यह गांव दूसरे गांवों से 30 साल पीछे हैं।