#भारत देश का इकलौता #जैन_स्वर्ण_मंदिर, इसकी दीवारों में जड़ा है, करोड़ों का सोना, इसकी छत और दीवारों पर इससे पहले तक करीब 100 किलो सोने की पॉलिश हो चुकी है। दिगंबर जैन तेरापंथ पंचायत का यह देश का इकलौता स्वर्ण मंदिर है। यह मंदिर ग्वालियर के डीडवाना ओली (लश्कर) में स्थित है।
श्री 1008 #पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन तेरापंथी पंचायती, बड़ा मंदिर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
भादौ सुदी 2 संवत 1761 (सन् 1704) को इसका निर्माण पूरा हुआ। यहां एक इंच से लेकर छह इंच तक की कुल 193 मूर्तियां हैं। इस मंदिर के बनने में करीब दस वर्ष और इसकी नक्काशी में पूरे 45 साल लगे। इस टेम्पल का रिनोवेशन 10 किलो सोने से किया गया है। इसकी छत और दीवारों पर इससे पहले तक करीब
100 किलो सोने की पॉलिश हो चुकी है। दीवारों में जड़ा है करोड़ों का सोना मंदिर के दीवारों और मूर्तियों पर है।
24 कैरेट सोने से बारीक नक्काशी और वॉल पेटिंग इस टेम्पल की सबसे बड़ी खासियत है।जैन समाज का यह मंदिर देशभर में एक मात्र है, जिसे स्वर्ण मंदिर का नाम दिया गया है। 2015 में इस मंदिर को 310 साल पूरे हुए हैं। रत्नों की मूर्तियां इस मंदिर में कुल 193 मूर्तियां हैं, जिनमें चांदी, मूंगा, स्फटिक, मणि, स्लेट, पाषाण, कसौटी, संगमरमर तथा श्याम-श्वेत पाषाण की एक इंच से लेकर छह इंच तक की शामिल हैं। बनने में 10 साल नक्काशी में लगे पूरे 45 साल।
इस जैन मंदिर के संबंध में लोगों का कहना है कि इसे बनने में जितना समय नहीं लगा, उससे अधिक इसमें मौजूद नक्काशी में लगा।इस मंदिर में बनी पेंटिंग में सोने की पॉलिश के साथ ही सबसे ज्यादा मूर्तियां हैं।