बचपन मे मैं बहुत नाज़ुक औऱ शर्मीला हुआ करता था। लोगों से बात करने में डर लगने के कारण मैं सबसे हकला कर बात करता था। मेरे परिवार और चचेरे भाई के अलावा कोई भी मुझे किसी साधारण बच्चे की तरह नही देखते थे।
मेरे और मेरे परिवार के लिए यह विचार बहुत डराने वाला था कि क्या मैं बड़ा होकर जीवन मे कुछ कर भी पाऊंगा या नही?
मेरा चचेरा भाई बचपन का सबसे प्रिय मित्र था। उसे मेरी परेशानियां पता थी। एक दिन उसने मुझे एक हनुमान चालीसा दी और उसे हमेशा अपने साथ रखने को कहाँ।
मैं उस हनुमान चालीसा को हमेशा अपने साथ रखने लगा। जैसे जैसे वक़्त बीतता गया, वैसे वैसे मेरे डर कम होते गए।
कई बार मैदान में फुटबॉल व क्रिकेट खेलते समय, स्कूल से घर वापस आते समय, सड़क पर चलते समय यह हनुमान चालीसा जेब से गिर कर गुम हो जाती थी। मैं हर बार उसे मिलने की उम्मीद छोड़ देता लेकिन हर बार यह किसी चमत्कार की तरह मुझे सही सलामत मिल जाती।
बड़े होने के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा। ज़िंदगी मे कुछ भी हो उस हनुमान चालीसा ने कभी भी मेरा साथ नही छोड़ा।
बचपन के डर से विपरीत मैं कॉलेज में रॉकस्टार बन गया। फिर बड़े होने के बाद मेरी कंपनी में भी मुझे 2 साल के अंदर ही डिपार्टमेंट हैड बना दिया गया।
दिल मे कही ना कही इस बात का एहसास था कि हनुमान चालीसा के आने के बाद मैंने ज़िन्दगी में रफ्तार पकड़ी है।
साल 2018 मे एक दिन अचानक मेरी हनुमान चालीसा कही खो गयी।
मैं बहुत परेशान हुआ, उसे बहुत ढूंढा लेकिन मुझे वह कही नही मिली। मैंने सोचा, "अब तो हम बड़े हो गए हैं। अब क्या फर्क पड़ता है?"
लेकिन मैं गलत था। उसके बाद मेरी ज़िंदगी मे कई अप्रत्याशित घटनाएं होती गई। मेरी तबियत अचानक खराब रहने लगी। निजी और पेशेवर ज़िन्दगी दोनों में मैं नीचे गिरता गया।
ऐसा लगता था जैसे मैं जितना उठने की कोशिश कर रहा हूं उतना और गिर रहा हूं। मैं खुद से हारने लगा था। एक समय ऐसा आया था जब मेरे पास मान, सम्मान, स्वास्थ, पैसा सबकुछ सबसे निचले स्तर पर था।
कॉलेज का रॉकस्टार और ऑफिस का डिपार्टमेंट हेड लगभग शून्य हो चुका था। मुझे समझ नही आ रहा था क्या करूँ।
मैं इतना परेशान था कि उस परेशानी में मैं हनुमान चालीसा के बारे में भूल चुका था।
एक दिन मैं अपनी पुरानी शर्ट दान में देने के लिए इकट्ठा कर रहा था। एक शर्ट की जेब मे मुझे कुछ रखा हुआ दिखाई दिया। वह यह था,
हनुमान चालीसा। मेरे चेहरे पर मुस्कान और दिल मे उम्मीद की किरण वापस आ गयी। ऐसा लग रहा था जैसे हमेशा मुझे ताकत देने वाले मित्र बरसो बिछड़ने के बाद फ़िर से मिल गए है।
वह दिन है और आज का दिन हैं। ज़िंदगी में कुछ भी हो, मैं भले ही निराश हुआ हूं लेकिन मैंने कभी हारा हुआ महसूस नही किया।
मुझे फ़िर कुछ करने का भरोसा आ गया है। दुनिया का तो नही पता लेकिन खुद की नज़र में मैं ज़रूर फिर से रॉकस्टार और हीरो बन गया हूं।
ऐसा कैसे हुआ कि उस हनुमान चालीसा के खोने के बाद मेरी ज़िंदगी मे सबकुछ नकारात्मक होते गया जिसकी वजह से मैं निचले स्तर पर आ गया? और उस हनुमान चालीसा के मिलने के बाद मेरा खुद में भरोसा अचानक वापस आ गया?
क्या यह सिर्फ संयोग था या कुछ और?
मुझे नही पता। शायद कुछ सवाल हम इंसानी सोच से बहुत परे होते है। मुझे सिर्फ इतना पता है कि मैंने वह हनुमान चालीसा अब अपनी सबसे सुरक्षित जगह संभाल कर रखी है। और अब मैं उसे कभी भी खोने नही दूंगा।