दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन क्लास मुफ्त में प्रदान करने को लेकर दिल्ली राज्य सरकार के फैसले पर जवाब मांगा है। माननीय न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया की राज्य के सारे निजी विद्यालय जिन्हें सरकार से किसी भी तरह की सहायता नहीं मिलती वे अपने विद्यालय की 2 महीने की शुल्क ना मिलने पर उस छात्र की ऑनलाइन क्लास रद्द कर सकते हैं। यदि कोई अभिभावक आर्थिक परेशानी के कारण विद्यालय की मासिक शुल्क जमा नहीं कर पा रहे तो वे विद्यालय प्राधिकारी को अपने वित्तीय दस्तावेज जमा करें और यदि वे ऐसा करने में असफल रहे तो विद्यालय के अधिकारियों के पास यह पूरा अधिकार है कि उस अभिभावक के बच्चे की ऑनलाइन क्लास वे रद्द कर दे। क्योंकि समझने वाली बात यह है कि निजी विद्यालयों में शिक्षक एवं शिक्षिकाओं का वेतन एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन के लिए किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं दी जाती है केवल सरकारी नियम एवं दिशा निर्देश पारित कर दिए जाते हैं। अपने शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों को वेतन देने का पूरा भार निजी विद्यालयों पर ही आता है इसलिए इस तरह की सरकारी नियम ना ही केवल एक विशेष वर्ग के अधिकारों का हनन करता है बल्कि संविधान के आर्टिकल 19 (g) का भी उल्लंघन करता है।
- सिंघानिया एवं कंपनी एलएलपी, मुंबई ऑफिस