rameshkumarojha8's Album: Wall Photos

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पिछले एक अरसे से अक्सर जब भी मैं गांव जाता हूँ, तो वहां मौजूद हर खूबसूरती से इतर मेरी निगाहें सरक कर एक छोटे से मंदिर की दीवार पर बांधें इन दो लाल पीले धागों पर अटक जाती,
और मैं खुद को वापस वहीं तुम्हारे साथ पाता हूँ,,

वहीं,,! जब तुम पहली बार मेरे साथ मेरे गाँव घूमने को आई थी, कितनी मिन्नतें करवाई थीं टीमने उस एक दिन के लिए,
और उसी दिन गांव के बाहर पगडंडी पर घूमते हुए हमारे कदम एक ट्यूबवेल के पास बरगद के पेड़ के नीचे एक छोटे से मंदिर ओर आकर अपने आप थम गए थे,
और और उस मंदिर को देख कर तुम्हारी आंखें एक सकारात्मकता की चमक से भर गयीं थीं, और मेरा हाँथ पकड़ तुम जबरन मुझे उस मंदिर के अंदर खींच कर ले गयी थी,

अरे....! क्या कर रही हो....?

सुनो,, मैन सुना है इस मंदिर में जो भी अपनी मन्नत मांग कर इस धागे को यहां बांधता है, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है,,, (तुमने मेरी नजरों में झांकते हुए, उत्सुकता से कहा)

अच्छा ! (मैं हंसा) और तुमको इस बात पर यकीन भी है ( मैं और जोर से हंसा)

सुनो,, यकीन न करने की भी तो कोई वजह नही (तुमने उस मंदिर की दीवार पर बंधे धागों को देखते हुए धीरे से कहा)

अरे पागल हो तुम,, ये क्या अंधविश्वास है तुम्हारा ? और बच्ची हो क्या तुम ? (मैंने तुम्हारा हाँथ पकड़ के खींचते हुए कहा)

अभी बच्ची ही तो हूं मैं,,,(तुमने वापस खींचते हुए उसने हल्की सी चुलबुली मुस्कुराहट दी)

अच्छा ठीक है बाबा,,, चलो....

और हम दोनों ने उसी दीवार पे आंखें बंद करके, मुह से कुछ बुदबुदाते हुए दो धागे बांध दिए,,

तुमने मेरे इश्क़ के,
और मैने तुम्हारी ख्वाहिशों के...!

ए....! क्या मंगा तुमने (तुम्हारे कंधे पर अपना हाँथ रख, मुस्कुराकर पूछा)

क्यों बताऊं तुम्हे ? (तुमने बड़ी बड़ी आंखें करके, अपने कंधे से मेरा हाँथ हटाते हुए कहा)

अरे.......ये क्या नाटक है ? बता दो न प्लीज़,, मैं किसी को नही बताउँग ।

तुम पागल हो, इत्ता भी नही पता कि मन्नत किसी को बता दो तो वो पूरी नही होती,,,,( तुमने मेरे माथे पर टपली मारी)

भक्क !!
मत बताओ । मैं बताता हूँ मैन क्या मांगा.....
मैन मंगा की तुम हमेशा मेरे साथ रहो, ऐसे ही चहकते हुए, इसी तरह मेरा हाँथ थामे, मेरे साथ इन पगडंडियों पर ताउम्र चलती रहो, ऐसे ही जबरन मुझसे ये मन्नतें मंगवाती रहो, ऐसे ही मुझे तुम बुद्धू बनाती रहो, और ऐसे ही मेरी आँखों मे तुम,,, मुस्कुराती रहो.......

शशशश.......!
बस करो न ! मत बताओ न प्लीज....!
(और तुमने मेरे होंठों पर अपनी कोमल उंगली रख दी थी)

…......आज जब अकेले भटकते हुए किसी भी मंदिर की दीवारों पर बांधें वो लाल-पीले धागे देखता हूँ, तो सोंचता हूँ, की शायद तुम सही थी ।
शायद इन कच्चे धागों में इतनी ताकत होती है कि वो दो लोगों को हमेशा के लिए बांध कर रख सकें, बशर्ते उन्हें किसी की नजर न लगे,,
शायद ये कच्चे धागे सच्चे होते हैं,
अब सोचता हूँ कि शायद वो मन्नत तुम्हे बताकर मैंने गलत किया । काश मैं चुप रहता तो तुम एक बार फिर आज यहीं होती मेरे साथ, एक बार फिर उसी दीवार पर मुझसे मन्नत के धागे बांधने की जिद करती हुई,
और एक बार फिर हम उलझ रहे होते आपस मे अपने ही प्रेम के लिए.......

सोचता हूँ कि तुम एक दफा और मिलो, तुमसे फिर वही सवाल करूँगा "क्या उस दिन तुमने वही मांगा जो मैंने मांगा था ?"
क्या उस धागे ने तुम्हारी मन्नत पूरी कर दी ??
और तुम मुझे सीने से लगाकर, मेरे सारे सवालों को निरर्थक साबित कर देना..!

सुनो, एक दफा और मिलें क्या ?

#धागे_मन्नत_के❣️
#इश्क़❣️

©विपिन श्रीवास्तव (सहज़)