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हिंदुत्व समझो अभियान : चैप्टर 2
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आध्यात्म के बिना हिंदुत्व केवल एक आत्माविहीन सामाजिक व्यवस्था है - जो लाश की तरह सड़ती जा रही है

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-लव जिहाद
-जातिवाद
-हिंदुओं में हिंदुओं के प्रति उदासीनता
-देवी देवताओं पर से खत्म होती आस्था
- सेक्युलरता का नंगा नाच

ये सब क्या है ?!

ये अलग अलग कीड़े हैं जो आत्माविहीन हिन्दू समाज की लाश को खाते जा रहे हैं ...

लेकिन ये हिन्दू समाज आत्माविहीन होकर लाश क्यों हो गया ?!

क्योंकि किसी भी सामाजिक सिस्टम की आत्मा होती है उस सिस्टम के आध्यात्मिक सत्यों में ...

जैसे इस्लाम की आत्मा है - पैगम्बर मुहम्मद को एक फरिश्ते (जिब्रील) ने आकर अल्लाह का पैगाम दिया ...
क्रिश्चियनिटी की आत्मा है - जीसस चमत्कारी हैं और उन्होंने अपने जीवन की बलि दूसरों के पाप हरने के लिये दे दी ...

वहीं हिंदुत्व की आत्मा है - सत्य की खोज /कण कण में ईश्वर है और ईश्वर में कण कण है / 'व्यक्ति में शिव होने की संभावना है '

आप किसी इस्लामिक देश में जाकर बस कह के देखें कि "पैगम्बर मुहम्मद को कोई फरिश्ता नहीं आया था अल्लाह का पैगाम देने" - आपको ईशनिंदा कानून के तहत पत्थर मार मार के मौत के घाट उतार दिया जाएगा ...

वे लोग ऐसा इसलिये करते हैं - क्योंकि वे अपने सामाजिक सिस्टम की आत्मा को बचाना चाहते हैं ... और इसके लिये वे साइंटिफिक इंक्वायरी को दूर से ही डरा के भगा देते हैं ...

जबकि हम हिन्दू अपने सिस्टम की आध्यात्मिक आत्मा को ताक पर रख देते हैं ...और एक नास्तिक समाज का निर्माण करना चाहते हैं जो लड़े अब्राहमिक पंथों से ...
अरे ! जब लड़ने के लिये समाज में आत्मा ही न होगी तो क्या खाक लड़ोगे किसी बाहर वाले से ?!

आपस में ही उलझ कर मर जाओगे ...

कृष्ण ने भगवद्गीता का ज्ञान इसीलिये तो दिया है - जिससे समाज कभी आत्माविहीन न हो ... लेकिन गीता को भी नहीं समझते हम लोग और न ही कोई आकर हमें प्रैक्टिकल तरीके से बताता है कि गीता में श्रीकृष्ण किस तरह से समाज को आत्मा प्रदान कर रहे हैं ...

समाज में आत्मा का संचार करती है फिलॉसोफी व रियलाइजेशन ...
सीधी बात है - जब मुंबई वाले Piyush भाई को जो आध्यात्मिक सत्य पता है और केरल वाले गोविन्दन भाई को भी वही सत्य पता है और बरेली वाले मनन भाई को भी वही सत्य पता है तो समाज स्वतः ही जातिवाद इत्यादि से निकलकर सशक्त होयेगा ... और सशक्तिकरण आएगा आध्यात्मिक आत्मा के कारण ...
जब सभी को आध्यात्मिक सत्य पता होगा और वे उसे दैनिक जीवन में अनुभव भी कर पाएंगे तो समाज लाश नहीं रहेगा - वह समाज अपनी बेटियों को वही आध्यात्मिक आत्मा देगा और फिर कोई लव जिहादी हमारी बेटियों को बरगला न पायेगा ...

सीरीज़ जारी है ...
थोड़ी देर में इस आध्यात्मिक सत्य के विषय में बताऊंगा ...

नमः परमशिवाय
मनन