पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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*कम या ज्यादा*

एक माँ के दो लड़के थे । एक लड़के को कम दिखाई देता था और दूसरे लड़के को दिखता तो अधिक था परन्तु उल्टा दिखता था । उसे पीला दिखता था । माता उन दोनों लड़कों को वैद्य के पास ले गई । वैद्य ने दोनों बच्चों को एक सी दवा दी । दवा सफेद थी । चाँदी के गिलास में दूध के साथ देना बताया । माता चाँदी के गिलास में दूध ले आई और पहले वाले लड़के को पिलाया जिसे कम दिखता था । और उस लड़के ने दूध पी लिया । और जिसे अधिक दिखता है मगर पीला दिखता है उस लड़के ने कहा, "माँ ! मैं ही तुझे एक दुश्मन मिला जो मुझे दवा के बदले में पीतल के गिलास में गोमूत्र दे रही हो और इसमें हल्दी मिला रखी है ।" वह दूध फेंक दिया । पहले वाले लड़के ने पीया इसलिए उसको लाभ मिला और दूसरे वाले ने नहीं पीया इसलिए उसे लाभ नहीं मिला और ज्यों का त्यों बना रहा ।

*अतः ज्ञान कम हो या ज्यादा इससे हित का मार्ग नहीं मिलता । हित का मार्ग तो यथार्थ श्रद्धा से ही मिलता है । ज्ञान कम हो या ज्यादा यदि श्रद्धा में "मैं भगवान आत्मा सहज चैतन्य स्वरूप हूँ" बना रहे तो ही सच्चे सुख की प्राप्ति होती है । जीव दुःखी क्यों होता है ? क्योंकि जीव स्व को स्व और पर को पर नहीं जानता है, ऐसा भेदज्ञान नहीं करता है । जबकि स्व स्व में स्थित है और पर पर में स्थित है । दोनों अपने-अपने स्वचतुष्टय में रहते हैं । ऐसा भेदज्ञान होते ही समस्त प्रकार के दुःखों का अभाव होता है और सच्चे सुख की प्राप्ति हो जाती है ।*

पुस्तक का नाम - दृष्टान्त प्रकाश, शान्ति की खोज ।
संकलनकर्ता - जगनमल सेठी ।