देश में कहीं भी जब हिन्दू पिटता है तब कुछ प्रश्न खड़े किये जाते हैं जैसे...
#आरएसएस कहाँ गया..? ऐसे ही प्रश्न पुलिस के बारे में भी उठते हैं। संघ कोई चौकीदार या रखवाली करने वाली संस्था नहीं है!
संघ एक क्रियात्मक विचार पुंज है।
उसे संचालित,सक्रिय करके व्यवहार धरातल पर लाना हमारा ही दायित्व है।
संघ कहता है,प्रतिदिन एक घण्टा घर से बाहर निकल कर निकटतम स्थान पर सामूहिक आइये..
सप्ताह में एक बार,बड़े पैमाने पर किसी बड़ी जगह पर सामुहिक एकत्रीकरण हेतु आइये..
माह में एक बार #हिंदुत्व पर होने वाले सामूहिक स्नेह मिलन,भोज जैसी गतिविधियों में भाग लीजिए...
वर्ष में कम से कम दस दिन,घर से दूर स्थान बदलकर जनजागरण हेतु विस्तारक के रूप में काम कीजिए..
अपने बच्चे,बच्चियों को अभ्यास वर्गों और प्रशिक्षणों में भेजिये..
(और आपको ये वहीं जाकर पता चलेगा कि आप क्या क्या सीखने वाले हैं।)
स्वयं कोई एक गतिविधि से जुड़कर यथासंभव सहयोग कीजिए...! घर पर शस्त्र पूजन कीजिए,समाज में सामूहिक शस्त्रपूजन के आयोजन में भाग लीजिए।
अपने आस पास की कच्ची बस्ती या पिछड़ी बस्ती में संपर्क रखिए,उनके सुख दुःख में सहभागी बनिए।
अपने घर को आदर्श हिन्दू घर बनाइये,गौ पालन,तुलसी पूजन,संस्कृत के अध्ययन पर ध्यान दीजिए।
हिन्दू संस्थाओं के लिए खुलकर दान दीजिये।
वे उन घावों को ही सिलने में काम आ रहे हैं जिन्हें आप देख नहीं पाते।
यथासंभव,अपने बच्चों की संख्या,अधिकतम रखिये,और उन्हें सामाजिक रूप से जागरूक बनाइये।
अंग्रेजी वाले स्कूलों में पढ़ाकर,भी, मूल समाज और कुटुंब से जुड़े रहे,ऐसी रचना कीजिए।
उन्हें एकाकी,स्पेशल और आम जनता से कटा रहने वाला मत बनाइये।
विस्तार कीजिए,संकुचन नहीं।
आक्रामक बनिए,दब्बू नहीं,दहाड़ना सीखिये,शिकायती नहीं।
ये बहुत छोटे छोटे प्रयोग कर,आप सुरक्षित रह सकते हैं।
इन कार्यों में भागीदार होकर ही पता लेगा कि हम संघ को कितना आत्मसात कर पाए हैं...