इंद्रजाल प्रेत सिद्धी क्या होती है || नियम,खतरे और सावधानी || शाबर मंत्र सिद्धि गुरूजी
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यह सिद्धि बड़े बड़े तांत्रिको के पास होती है।इसके माध्यम से तांत्रिक क्षण मात्र में प्रेत को भेजकर किसी भी कार्य को सम्पन्न कर देते है।यह सिद्धि एक दिन की होती है।जंगलो में रहने वाले तांत्रिको पर यह सिद्धि होती है।जो साधक इस सिद्धि को सिद्ध करना चाहते है,कर सकते है।
दिन रात को ठीक 12 बजे से शनिवार के दिन अमावस्या हो,सिद्धि करे।
यह सिद्धि बबूल के पेड़ के नीचे उत्तर दिशा की तरफ मुख करके सिद्ध की जाती है।यह पेड़ जंगल में हो सुनसान जगह।
साधना सामग्री
कुशासन,काले तिल, काले उड़द, आँखड़े की लकडिया हवन के लिये,माचिस,ऊँगली से रक्त अर्घ्य प्रेत आत्मा को देने के लिये ब्लेड या चाक़ू ।
11 माला जप दाहिने हाथ से करे और बायें हाथ से हवन करे।
रात को एक माला इंद्रजाल मन्त्र की जाप करे और सुरक्षा मन्त्र जपे फिर कुशासन पर बैठकर निर्वस्त्र साधक आक की लकड़ियों को जलाये और उसमे काले तिल, उड़द की आहुति दे।एक माला आहुति के बाद कभी भी प्रेत साधक को खुली आँखों से खड़ी अवस्था में दिखाई देगा,साधक डरे नही और हिम्मत करके बाए हाथ की सबसे छोटी ऊँगली को चीरकर 7 बूँद रक्त भूमि पर गिराये और प्रेत को कहे की हे प्रेत इस रक्तपान को ग्रहण करो और तृप्त हो जाओ और मेरी सभी आज्ञाओं का पालन करो ।
इस तरह से वह प्रेत साधक के वश में हो जाता है।
जब भी साधक किसी भी अवस्था में मन्त्र पड़ता है तो प्रेत तुरन्त प्रकट होकर कार्य संपन्न करता है।यह स्त्री पुरुष वशीकरण,कोई रुका हुआ कार्य तुरुन्त करता है।यह उच्चाटन,मारण के भी कार्य करता है।
इसकी ताकत जिन्न की तरह होती है।गुरु निर्देशन में ही सिद्धि करे अन्यथा हानि संदेह है।
मन्त्र
ॐ साल सलिता सोसल बाई काग पढ़न्ता धाई आई
ॐ लम् लम् लम् ठह ठह ठह ।।
इस मन्त्र सिद्धि से प्राप्त प्रेत बहुत शक्तिशाली होता है।यह सिद्धि अत्यंत गोपनीय है।
प्रेत दीक्षा गुरु से प्राप्त कर ही सिद्धि करे अन्यथा सिद्धि प्राप्ति में संदेह होगा।
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शाबर मंत्र सिद्धि गुरूजी
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